57 वर्ष बाद सोमवार को विशेष संयोग में मनायी जाएगी सोमवती हरियाली अमावस्या….
1 min readश्रावण महीने में पड़ने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या या हरियाली अमावस्या भी कहते हैं यदि यह अमावस्या सोमवार के दिन हो तब इसे सोमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस बार 17 जुलाई यानि कल श्रावण मास के प्रथम कृष्ण पक्ष में सोमवती हरियाली अमावस्या का संयोग बन रहा है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख एवं शहर के प्रमुख ज्योतिर्विद स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार 17 जुलाई सोमवार को मिथुन राशि के चंद्रमा और पुनर्वसु नक्षत्र तथा व्याघात योग, चतुष्पाद करण के संयोग में सोमवती हरियाली अमावस्या का पुण्य काल बन रहा है इस प्रकार का योग साधना, पूजा, दान और ग्रहों की अनुकूलता के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है।पित्रों की शांति एवं पिंडदान और दान धर्म करने के लिए श्रावणी अमावस्या का विशेष महत्व है।सूर्य, चंद्रमा, बुध, राहु, केतु ग्रहों की यही युति अब से लगभग 57 वर्ष पूर्व 1966 को देखने को मिली थी। बार भी सूर्य कर्क, चंद्रमा मिथुन, बुध हैं। कर्क राशि और राहु केतु क्रमशः मेष और तुला राशि में गोचर करेंगे।
स्वामी जी ने सोमवती अमावस्या के महत्त्व और पूजा विधि मुहूर्त के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा।हरियाली अमावस्या आज रात्रि 10:08 मिनट से लग रही है। इसका समापन 18 जुलाई को 12:01 पर होगा। उदया तिथि तिथि के आधार पर हरियाली अमावस्या 17 जुलाई को मनाई जाएगी।स्वामी जी ने बताया कि इस दिन प्रातः पवित्र गंगा नदी में स्नान करना चाहिए यदि गंगा स्नान संभव न हो पाए तो गंगाजल युक्त जल से स्नान करना चाहिए उसके बाद भगवान शिव का अभिषेक कर अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर देना चाहिए हरियाली अमावस्या के दिन पौधारोपण करना शुभ माना जाता है, पेड़-पौधे हमारी आस्था के साथ ही जीवन शक्ति से जुड़े हुए हैं ऐसे में अलग-अलग पेड़-पौधों में विभिन्न देवताओं का भी वास होता है।
INPUT – VINAY CHATURVEDI
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