त्रिग्रही योग में आज मनाया जाएगा सकट पर्व : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज

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अलीगढ :  प्रति वर्ष माघ के महीने में सकट चौथ का पर्व मनाया जाता है। संतान की लंबी आयु की कामना हेतु इस दिन माताएँ निर्जला व्रत रखती हैं। सकट चौथ का पर्व देश भर में आज मनाया जा रहा है। यह जानकारी वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने दी। सकट चौथ की जानकारी देते हुए बताया कि इस पर्व को संकष्टी चतुर्थी,वक्रतुंडी चतुर्थी,तिलकुटा चौथ आदि नाम से भी जाना जाता है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार चतुर्थी तिथि का प्रारंभ आज प्रातः 6:10 मिनट से हो चुका है जो कि कल प्रातः 8:54 मिनट तक रहेगी।चंद्रोदय रात्रि 9:10 मिनट पर होगा साथ ही आज शोभन योग एवं सूर्य,शुक्र और बुध के धनु राशि में विराजमान होने से त्रिग्रही योग का निर्माण भी हो रहा है। सकट चतुर्थी के दिन कथा सुनने का महत्व है पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार देवों के देव महादेव ने शिवजी अपने पुत्र कार्तिकेय व गणेश जी से पूछा कि आप में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है।तब कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। इस पर भगवान शिव ने कहा कि तुम दोनों में से जो भी सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करकेआएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा। ये वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। परन्तु गणेश जी अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता की सात परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजयी बताया। शिवजी ने गणेशजी से पृथ्वी की परिक्रमा न करने का कारण पूछा तब गणेश जी ने कहा माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं।यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी और गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा श्रद्धा पूर्वक पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।

INPUT – VINAY CHATURVEDI       

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