मिट्टी की प्रतिमा का पूजन कर गंगा को करें प्रदूषण मुक्त : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज

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सिकंदराराऊ : विगत दो वर्षों से कोरोना संक्रमण के कारण गणेश चतुर्थी का पर्व भारत में बृहद स्तर पर नही मनाया गया परंतु कोरोना काल के बाद इस वर्ष गणेश चतुर्थी उत्सव बड़े धूमधाम से मनाये जानें की तैयारियां प्रारंभ हो चुकी हैं।

भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से भगवान गणेश का जन्मोत्सव प्रारंभ होकर 10 दिनों तक चलता हैं। लोग अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं और इन 10 दिनों में विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने इस वर्ष के गणेश जन्मोत्सव के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि चतुर्थी तिथि मंगलवार 30 अगस्त दोपहर 03:33 मिनट पर प्रारंभ हो रही है जो कि 31 अगस्त बुधवार को दोपहर 03:22 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त 31 अगस्त प्रातः11:05 मिनट से प्रारंभ होगा साथ ही इस बार गणेश चतुर्थी के अवसर पर तीन शुभ योग बन रहे हैं और दिन बुधवार होने से एक विशेष संयोग बन रहा है। 31 अगस्त प्रातः 05:58 बजे से लेकर देर रात 12:12 बजे तक रवि योग रहेगा जो कि अमंगल को दूर कर सफलता प्रदान करता है इस योग में सूर्य की स्थिति बेहद प्रबल मानी जाती है। वहीं प्रात:काल से लेकर रात 10:48 बजे तक शुक्ल योग और शुक्ल योग के समाप्त होने के तुरंत बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा । ये तीनों ही योग पूजा पाठ की दृष्टि से बेहद शुभ माने गए हैं।
भगवान गणेश की पूजा विधान एवं मूर्ति स्थापना के विषय में महामंडलेश्वर स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि शास्त्रानुसार भगवान गणेश की पूजा हेतु मिट्टी की प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ होती है जिसके विसर्जन से गंगा प्रदूषण से मुक्त होगी साथ ही जलीय जीवों के जीवन पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा पूजन की दृष्टि से भी शुभ नहीं है। साथ ही जलाशयों और गंगा में विघटित न होने से प्रदूषण का कारण बनती है। यदि किसी भक्त के पास पीतल या अन्य धातु की प्रतिमा हो उस प्रतिमा पर मिट्टी का लेप लगाकर पूजा करें और विसर्जन के समय उस प्रतिमा का अभिषेक करवाकर साफ स्वच्छ कर लें इससे भी पूरा पुण्य मिलेगा।
सबसे पहले चौकी पर गंगाजल छिड़क कर इसे शुद्ध कर लें। इसके बाद चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर चावल रखकर विघ्न विनाशक भगवान श्रीगणेश की मूर्ति को चौकी पर स्थापित कर प्रतिमा का गंगाजल से स्नान कराएं। मूर्ति के दोनों ओर रिद्धि-सिद्धि के स्वरूप एक-एक सुपारी रखें।भगवान गणेश की मूर्ति के दाईं ओर जल से भरा कलश रखें।
उसके बाद हाथ में अक्षत और फूल लेकर प्रथम पूज्य भगवान गणेश का आह्वान कर मंगलकामना शुभाशीर्वाद लें और नित्य प्रतिदिन सेवा करें।

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