नवरात्रि में कलश क्यों बैठाते हैं, जानें कलश स्थापना का महत्व
1 min readशारदीय नवरात्रि 26 सितंबर दिन सोमवार से शुरू हो रहे हैं और इसका समापन 5 अक्टूबर दिन बुधवार को होगा। नवरात्रि के दौरान ज्यादातर घरों में कलश स्थापना या घट स्थापना की जाती है। हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले कलश स्थापना करने का विधान रहा है। शास्त्रों में कलश को गणेशजी का प्रतीक बताया गया है और कलश स्थापना करने से पूजा का शुभ और मंगल फल मिलता है। बिना कलश स्थापना के कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं माना जाता है इसलिए हर साल शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। नवरात्रि के अलावा घर में कोई भी धार्मिक कार्य जैसे गृह प्रवेश, शादी-विवाह, नया व्यापार, दिवाली पूजा, धार्मिक कार्यक्रम आदि से पहले कलश स्थापना की जाती है। कलश स्थापना से पहले जगह को गंगाजल से पवित्र किया जाता है और फिर स्थापना की जाती है। इसके बाद ही सभी देवी-देवताओं को पूजा स्थल पर आने के लिए आमंत्रित किया जाता है। नवरात्रि में माता की पूजा करते समय माता की प्रतिमा या तस्वीर के आगे कलश रखा जाता है। कलश स्थापना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और सुख-शांति के साथ समृद्धि भी बनी रहती है। शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना करने से पहले कलश के चारों ओर अशोक के पत्ते लगाए जाते हैं और फिर लाल कपड़े में बांधकर नारियल रखा जाता है और कलावा से बांधा जाता है। इसके बाद उसमें हल्दी की गांठ, सिक्का, लौंग, सुपारी, दूर्वा, अक्षत आदि चीजें रखी जाती हैं। इसके बाद कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है। कलश स्थापना करने से पहले बालू की वेदी भी बनाई जाती है, जिसमें जौ बोए जाते हैं। जौ धन-धान्य की देवी मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के लिए बोए जाते हैं। उनकी कृपा से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी ना आए, यह प्रार्थना की जाती है। कलश में जल इस बात का संकेत है कि वह हमारे मन की तरह शीतल और निर्मल बना रहे। कलश पर जो स्वास्तिक लगाया जाता है, वह चार युगों का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद दीप जलाकर कलश पूजा की जाती है और मां दुर्गा का आह्वान करके माता को आमंत्रित किया जाता है कलश को संपूर्ण ब्रह्मांड, भू-पिंड व पूरी सृष्टि का प्रतीक माना गया है। कलश में संपूर्ण देवी-देवताओं का वास माना जाता है। किसी भी धार्मिक कार्यक्रम या नवरात्रि की पूजा में कलश को सभी तीर्थ स्थलों, देवी-देवताओं का वास आदि का प्रतीक मानकर स्थापित किया जाता है। कलश के मुख को भगवान विष्णु, कंठ में भगवान शिव और मूल में ब्रह्माजी स्थित होते हैं। साथ ही कलश के मध्य में देवियों का वास माना जाता है। कलश स्थापना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार रहता है और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। अलग-अलग पूजा में अलग-अलग तरीके से कलश स्थापना की जाती है। नवरात्रि में कलश स्थापना करने का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। कलश स्थापना करने से पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है।
INPUT- JYOTI GOSWAMI