काल भैरव की पूजा के साथ मनायी भैरव अष्टमी
1 min readतंत्र साधना के देवता हैं काल भैरव : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी
अलीगढ। मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में बुलंदशहर के नरौरा स्थित नरवर घाट पर मां गंगा के पावन तट पर भगवान शिव के रौद्र रूप में विख्यात काल भैरव की पूजा अर्चना की गयी।
मंगलवार को स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में आचार्य गौरव शास्त्री,ऋषि शास्त्री,शिवम शास्त्री, ओम वेदपाठी आदि आचार्यों ने गंगा घाट पर वैदिक मन्त्रोंच्चार के साथ भैरव नाथ की पूजा की और हवन एवं यज्ञ आदि अनुष्ठानों के माध्यम से काशी के कोतवाल को रिझाया इस अवसर पर स्वामी पूर्णानंदपुरी जी ने कहा कि तंत्र साधना के देवता काल भैरव की पूजा रात में की जाती है इसलिए अष्टमी में प्रदोष व्यापनी तिथि का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के मुताबिक काल भैरव अष्टमी के दिन भगवान शिव, माता पार्वती और काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं साथ ही सभी तरह के जादू, टोने से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति समस्त प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है। पूजा अनुष्ठान में रजनीश वार्ष्णेय, निपुण उपाध्याय, प्रमोद वार्ष्णेय,तेजवीर सिंह, शिब्बू अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।
INPUT – VINAY CHATURVEDI
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