ऊपरी बाधा और नकारात्मक शक्तियों को दूर करते हैं काल भैरव : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी
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हाथरस : मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव के रौद्र रूप यानि काल भैरव की पूजा अर्चना की जाती है। इनकी पूजा से डर और बीमारियां भी दूर होती हैं। इस बार भैरव अष्टमी पर्व 5 दिसंबर मंगलवार को मनाया जा रहा है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार भैरव अष्टमी 44 दिसंबर सोमवार को रात्रि 09:59 मिनट से प्रारम्भ होकर 6 दिसंबर मंगलवार प्रात:12:37 मिनट तक रहेगी।भगवान काल भैरव भगवान शिव के ही रौद्र रूप हैं, इनकी आराधना से ऊपरी बाधा और भूत-प्रेत जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं। काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है, इनकी पूजा के बिना भगवान विश्वनाथ की आराधना अधूरी मानी जाती है।भैरव अष्टमी भगवान भैरव और उनके सभी रूपों को समर्पित होता है जिनमें कपाल भैरव रूप में शरीर चमकीला एवं सवारी हाथी है, भगवान के इस रुप की पूजा करने से कानूनी कार्रवाइयां बंद हो जाती है। अटके हुए कार्य पूरे होते हैं। क्रोध भैरव गहरे नीले रंग के शरीर वाले हैं और वाहन गरुण हैं इनकी पूजा करने से सभी परेशानियों से और बुरे वक्त से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।असितांग भैरव : इनके गले में सफेद कपालों की माला पहन रखी है और इनकी सवारी हंस है,भैरव के इस रूप की पूजा करने से मनुष्य में कलात्मक क्षमताएं बढ़ती है।चंद भैरव की सवारी मोर है, इनकी पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती हैं। गुरु भैरव भगवान का नग्न रूप है और उनकी सवारी बैल है, इनकी पूजा करने से विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।संहार भैरव भी नग्न रूप में है, और उनके सिर पर कपाल स्थापित है। इनकी तीन आंखें हैं और वाहन कुत्ता है। इनकी पूजा से मनुष्य के सभी पाप खत्म हो जाते हैं। उन्मत भैरव शांत स्वभाव का प्रतीक है, वाहन घोड़ा है ।इनकी पूजा करने से मनुष्य की सारी नकारात्मकता और बुराइयां खत्म हो जाती है।भीषण भैरव की पूजा करने से बुरी आत्माओं और भूतों से छुटकारा मिलता है। इनका वाहन शेर है।
भैरव जी की पूजा के विषय में स्वामी जी ने बताया कि काल भैरव की पूजा रात्रि काल में उत्तम मानी गई है लेकिन गृहस्थ जीवन वालों के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 10:53 से दोपहर 01:29 तक रहेगा वहीं निशीथ काल मुहूर्त रात्रि 11:44 से 12:39 बजे तक रहेगा।
INPUT – VINAY CHATURVEDI
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