ब्रह्म,शुक्ल,शुभ,एवं रवि योग में मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी महापर्व : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
1 min readहाथरस : ज्ञान और समृद्धि के देवता भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव का पर्व गणेश चतुर्थी प्रतिवर्ष भाद्रपद महीने की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस बार 19 सितंबर मंगलवार को यह महापर्व मनाया जा रहा है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने गणेश चतुर्थी तिथि के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार इस बार सोमवार दोपहर 02:09 मिनट से चतुर्थी तिथि प्रारंभ हो रही है जो कि 19 सिंतबर मंगलवार दोपहर 03:13 मिनट तक रहेगी ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 19 सिंतबर मंगलवार को गणेश उत्सव मनाया जाएगा। गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा का आगमन रवि योग में हो रहा है। मंगलवार प्रातः 06:08 मिनट से रवि योग प्रारंभ होकर दोपहर 01:48 मिनट तक रहेगा। पूजा-पाठ के लिए रवि योग को शुभ माना जाता है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन लगभग 300 वर्षों बाद इस बार ब्रह्म योग, शुक्ल योग और शुभ योग भी देखने को मिल रहे हैं साथ ही इस दिन स्वाति नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र भी रहेंगे तथा इस दिन प्रातः 10: 54 मिनट से दोपहर 01:10 मिनट तक वृश्चिक लग्न रहेगा। इस बार गणेश चतुर्थी पर प्रातः 06:08 मिनट से दोपहर 01:43 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा। हालांकि इस भद्रा का वास पाताल लोक में होगा, इसलिए इसका दुष्प्रभाव पृथ्वी लोक पर मान्य नहीं होगा।
अनंत चतुर्दशी तक विराजमान भगवान गणेश के पूजन और अर्चन की जानकारी देते हुए स्वामी जी ने बताया कि इस दिन प्रातः जल्दी उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर अच्छे से साफ सफाई करके भगवान गणेश की प्रतिमा को पीला वस्त्र बिछाकर चौकी पर स्थापित करें यदि विसर्जन के लिए गणेश स्थापना करनी हो तो मिट्टी की प्रतिमा लाएं उसके बाद गंगाजल सहित पंचामृत से प्रथम पूज्य भगवान गणेश का अभिषेक करें उसके बाद सुंदर वस्त्र, फूलमाला, जनेऊ आदि से श्रंगार करने के बाद हल्दी, पान का पत्ता, सुपारी, चंदन, धूप, दीप, नारियल आदि अर्पित करके गणेश के अत्यंत प्रिय मिष्ठान मोदक का भोग लगाएं और हरी दूर्वा घास जरूर अर्पित करें क्योंकि भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करने से पूजा शीघ्र फलदायी होती है और जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं। उसके बाद गणेश जी की आरती कर स्तुति पाठ करें।
INPUT – VINAY CHATURVEDI