सर्प विसर्जन के साथ पितृदोष अनुष्ठान हुआ सम्पन्न

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अलीगढ :  वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में गत दो दिनों से चल रहे कालसर्प योग एवं पितृ दोष अनुष्ठान का समापन सोमवार को नागपंचमी पर नाग नागिन के जोड़े को विसर्जन के साथ हुआ।
आचार्य गौरव शास्त्री के आचार्यत्व में दुष्यंत शास्त्री,ऋषि शास्त्री, ओम वेदपाठी,चंदर शास्त्री आदि आचार्यों ने सोमवार नागपंचमी के दिन अनुष्ठान में शामिल भक्तों का वैदिक मन्त्रोंच्चार से पार्थिव शिव पूजन करवाया उसके बाद चांदी के नाग नागिन के जोड़े की पूजा करवायी और ग्रहों की शांति एवं अनुकूलता हेतु यज्ञ में आहुतियाँ भी दिलवायी साथ ही नारियल पूजा कर वैदिक मन्त्रोंचारों के साथ नाग नागिन के जोड़े नारियल में लगाकर बहते हुए जल में प्रवाहित किये।
आचार्य गौरव शास्त्री ने इस अवसर पर बताया कि कालसर्प दोष एवं पितृदोष निवारण पूजा वैसे तो सालभर में कभी भी की जा सकती है परंतु नागपंचमी पर नाग के विसर्जन के साथ इस अनुष्ठान का करना विशेष फलदायी होता है तथा राहु काल में कालसर्प दोष निवारण पूजा सर्वोत्तम मानी जाती है। उन्होंने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में राहु को सर्प माना गया है,कुंडली में राहु की महादशा या अंतर्दशा के कारण जीवन में आयीं परेशानियों से मुक्ति हेतु नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष की शांति करानी चाहिए। नाग पंचमी के दिन सर्पों के स्वामी वासुकी और तक्षक की पूजा होती है। पूजा अनुष्ठान के बाद सभी लोगों ने प्रसाद ग्रहण कर गंगा स्नान किया।

INPUT – VINAY CHATURVEDI 

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