जीव को अपना धन धर्म के कार्य में लगाना चाहिए

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सिकंदराराऊ :  रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया है लेकिन वह भगवान को पराजित नही कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा है। रास लीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है ।
उक्त बातें गांव बपंडई में आयोजित भागवत कथा के दौरान भागवत आचार्य अवनीश वशिष्ठ ने कहीं।
भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत ही प्राप्त हो जाती है।
इस मौके पर रामनिवास शर्मा, संतोष कुमार शर्मा, सदाशिव गुप्ता, उमाशंकर शर्मा, बाबूलाल शर्मा, रामकृष्ण शर्मा प्रधान, नीरज अग्रवाल, अनिल पाठक, सुमन दीक्षित, वीरेंद्र सिंह परिक्षित, राजवीर, देवप्रकाश पाठक, नरेंद्र दीक्षित, सुरेंद्र सिंह पुंढीर, वीरेंद्र सिंह, विजय सिंह आदि लोग मौजूद रहे।

INPUT – VINAY CHATURVEDI 

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