श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध करके पृथ्वी को अत्याचार से मुक्त किया : वशिष्ठ

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सिकंदराराऊ : कथावाचक आचार्य अवनीश वशिष्ठ ने गांव बपंडई में ओंकार आश्रम पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान वर्णन करते हुए कहा कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे हैं वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान न हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों न हो।
उन्होंने उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है।
आचार्य ने बताया कि कंस की कारागार में वासुदेव- देवकी के भादों मास की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उनका लालन-पालन नंदबाबा के घर में हुआ था। इसलिए नंदगांव में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध करके पृथ्वी को अत्याचार से मुक्त किया और अपने माता-पिता को कारागार से छुड़वाया। कृष्ण जन्म की खुशी में कथा स्थल को विशेष रूप से सजाकर माखन मिश्री का प्रसाद वितरण किया गया तथा भक्तों ने नाच कूदकर नंदोत्सव मनाया। नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की से पूरा पंडाल गूंजने लगा।
इस अवसर पर उमाशंकर शर्मा, संतोष कुमार शर्मा , मनोज कुमार शर्मा, राजन लाल , शैलेंद्र गुप्ता, जलालुद्दीन खान , जय नारायण शर्मा, सुमन दीक्षित, बाबूलाल शर्मा , अनिल पाठक , शिवलेश उपाध्याय , भगवान दास गुप्ता आदि सैकड़ों लोग मौजूद थे।

INPUT –  VINAY CHATURVEDI

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