इस साल पाँच महीने बंद रहेंगे मांगलिक कार्य,नहीं बजेंगे ढोल नंगाड़े
1 min readसिकंदराराऊ : आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं इसके साथ ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु का का निद्राकाल प्रारंभ हो जाता है तथा चातुर्मास प्रारंभ हो जाते हैं और सभी मांगलिक एवं शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है।इस साल देवशयनी एकादशी 29 जून गुरुवार को पड़ रही है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का शुभारंभ गुरुवार प्रातः 03:18 मिनट से होगा जो कि 30 जून प्रातः 02:42 मिनट तक रहेगी।इस दिन रवि योग प्रातः 05:26 मिनट से दोपहर 04:30 बजे तक रहेगा।
देवशयनी एकादशी के बारे में स्वामी पूर्णानंदपुरीजी महाराज ने बताया कि इस तिथि से प्रायः चार माह यानि देवोत्थान एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं परंतु इस बार अधिक मास लगने के कारण चातुर्मास 30 जून से प्रारंभ होकर 23 नवंबर देवोत्थान एकादशी तक पाँच माह की अवधि तक रहेंगे। भगवान विष्णु के विश्राम करने से सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं,इस दौरान विवाह,मुंडन, जनेऊ आदि मांगलिक कार्यक्रमों को छोड़कर सभी तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
चातुर्मास का महत्त्व बताते हुए स्वामी जी ने कहा कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पाताल लोक के अधिपति राजा बलि ने भगवान विष्णु से पाताल स्थिति अपने महल में रहने का वरदान मांगा था, इसलिए देवशयनी एकादशी से अगले 4 महीने तक भगवान विष्णु पाताल में राजा बलि के महल में निवास करते हैं, इसके अलावा भगवान शिव महाशिवरात्रि तक और ब्रह्मा जी शिवरात्रि से देवशयनी एकादशी तक के लिए निवास करते हैं।
सावन से लेकर कार्तिक तक चलने वाले चातुर्मास में नियम संयम से रहने का विधान बताया गया है।इन दिनों में सुबह जल्दी उठकर योग, ध्यान और प्राणायाम करना चाहिए तामसिक भोजन का त्यागकर सुपाच्य भोज करना चाहिए। दिन में निद्रा को त्याग कर रामायण, गीता और भागवत पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथ पढ़ने चाहिए साथ ही भगवान शिव और विष्णुजी का अभिषेक करके पितरों के लिए श्राद्ध और देवी की उपासना करनी चाहिए,तथा जरूरतमंद लोगों की सेवा भी करनी चाहिए।चार्तुमास में संत एक ही स्थान पर रुककर जप तप और ध्यान करते हैं।
INPUT – VINAY CHATURVEDI
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