परमात्मा में आसक्ति मनुष्य को सांसारिक मोह माया से मुक्त करने वाली है
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सिकंदराराऊ : नगर के भूतेश्वर महादेव मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में अंतिम दिन को भगवताचार्य दुर्गेश वशिष्ठ ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि परमात्मा में आसक्ति मनुष्य को सांसारिक मोह माया से मुक्त करने वाली है और जीव भवबंधन से पार पा जाता है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय विप्र एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष मित्रेश चतुर्वेदी ने व्यासपीठ की पूजा अर्चना की एवं कथा व्यास को पटका उठाकर तथा स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि नई पीढ़ी में धर्म के प्रति जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। बच्चों को धर्म और सनातन संस्कृति के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दें । विडंबना है कि नई पीढ़ी के लोगों को अपने धर्म के बारे में ही जानकारी नहीं है। धर्म और संस्कृति के बारे में जानकारी का अभाव होने के कारण नई पीढ़ी दिग्भ्रमित हो रही है। किसी के झांसे में आने की आवश्यकता नहीं है। सनातन संस्कृति सबसे प्राचीन और मजबूत है।
भागवत आचार्य दुर्गेश वशिष्ट ने कहा कि परमात्मा बिना मांगे ही भक्तों को सब कुछ प्रदान कर देता है। जिस प्रकार भगवान द्वारिकाधीश ने अपने परम भक्त और बालसखा सुदामा को बिना मांगे ही दो लोकों का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया था। कथा प्रवाह को आगे बढ़ाते हुए भागवताचार्यजी ने कहा कि सुदामा भगवान द्वारिकाधीश के परम भक्त और बालसखा हैं। साधनहीन होते हुए भी वह भगवान में पूरी तरह आसक्त हैं और भगवान का गुणगान करते हुए भिक्षा में जो कुछ भी मिल जाता उसी में संतुष्ट हो जाते है।
श्री वशिष्ठ ने कहा कि हम भगवान को जैसे सेवा भाव से याद करेंगे। वैसे ही भगवान भी हमें भाव रूपी फल अर्पण करते है और जैसा भगवान से नाता हो, वैसा ही नाता भगवान भक्त पर रखते है।
इस अवसर पर आचार्य पंडित सुभाष चंद्र दीक्षित , राजीव चतुर्वेदी, मोहित उपाध्याय, विनय चतुर्वेदी, सोनपाल शर्मा, नितिन पचौरी, लकी शर्मा, उत्कर्ष पाठक , शिव कुमार उपाध्याय आदि मौजूद थे।
INPUT – VINAY CHATURVEDI
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