मनुष्य को जीवन जीने और मरने की कला सिखाती है श्रीमदभावगत कथा
1 min readसादाबाद : श्रीमद भागवत सुनने का लाभ भी कई जन्मों के पुण्य से प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य को जीवन जीने और मरने की कला सिखाती है। मनुष्य को जीवन परमात्मा ने दिया है, लेकिन जीवन जीने की कला हमें सत्संग से प्राप्त होती है। सत्संग का मनुष्य के जीवन में बड़ा महत्व है। गांव मानिकपुर में चल रही श्रीमद भागवत कथा में मंगलवार को श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वर्णन किया गया।
कथा व्यास साध्वी इंदुलेखा जी श्री धाम बरसाना वृंदावन ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा का वाचन करते हुए कहा कि भगवान भक्तों के वश में हैं। भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब धरती पर पाप, अनाचार बढ़ता है, तब-तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। उन्होंने कहा कि जब कंस के पापों का घड़ा भर गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेकर कंस का अंत किया और लोगों को पापी राजा से मुक्ति दिलाई। कथा में नंद घर जन्में कन्हैया…, कान्हा अब तो ले लो अवतार बृज में…, में तो नंद भवन में जाऊंगी…, यशोदा जायो ललना…, श्याम तेरी वंशी पुकारे राधा राम भजनों को सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो थिरकने को मजबूर हो गए। मौके पर लव वार्ष्णेय, गोपाल वार्ष्णेय, रामकुमार छिकौडी सेठ, चेतन वार्ष्णेय आदि का सहयोग सराहनीय रहा।
INPUT – BUERO REPORT