रांची के इस मंदिर में होती है कुत्ते की पूजा

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झारखंड  में आस्था से जुड़ी कई अनोखी कहानियां हैं. एक कहानी रांची  के कोकर स्थित पागल बाबा आश्रम  से भी जुड़ी है. इस आश्रम में शिव मंदिर के साथ-साथ कई छोटे-बड़े मंदिर है. यहां लोग अपनी फरियाद लेकर आते है. खास बात ये है कि यहां लोग भगवान की चौखट पर जाने से पहले कु्त्ते की समाधि पर अपना सिर झुकाते हैं. तमाम लोगों को कुत्ते पालने का शौक होगा और आप भी इस जानवर की वफादारी से परिचित होंगे लेकिन, आपने कभी सोचा है कि एक कुत्ता आस्था से जुड़ जाएगा या यूं कहें कि आस्था का केंद्र बन जाएगा.

ऐसे हुई कुत्ते की मौत 

दरअसल, रांची के इस आश्रम में कुत्ते की समाधि बनी हुई है, जिसे लोग देवता की तरह पूजते हैं. मंदिर में जाने से पहले लोग इस समाधि पर मत्था टेकते हैं. बताया जाता है कि इस आश्रम में एक पुजारी रहा करते थे, जिन्हें लोग पागल बाबा के नाम से पुकारा करते थे. बाबा ने भोली नाम का एक कुत्ता पाल रखा था. पागल बाबा भोजन से पहले भोली को श्रद्धापूर्वक खाना खिलाते थे. साल 1999 में पागल बाबा अयोध्या यात्रा पर गए थे. उसी दौरान एक दिन भोजन के लिए भौंकने पर खनसामा ने चूल्हे की जलती लकड़ी से भोली के सिर पर वार कर दिया, इससे भोली की मौत गई.

मंदिर के बगल में बनवाई समाधि 

जब पागल बाबा यात्रा से लौटे और उन्हें इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने नाराज होकर खनसामा को आश्रम से निकाल दिया. फिर भोली की समाधि मंदिर के बगल में बनवाई और रोज पूजा करने लगे. तब से लेकर आज तक ये पूजा जारी है. पागल बाबा के देहांत के बाद लोगों ने उनकी भी समाधि इसी परिसर में बनवाई.

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