श्रावण में तप करने से मार्कण्डेय को मिला दीर्घायु वरदान : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
1 min readवैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वाधान में चल रहे श्रावण अधिकमास रुद्राभिषेक अनुष्ठान के तहत सोमवार का अभिषेक पला रोड स्थित सम्पन्न हुआ।
सोमवार को बचपन प्ले स्कूल के चेयरमैन पारुल जिंदल,राहुल वर्मा ने बतौर मुख्य यजमान भगवान शिव का पंचामृत एवं दूध से अभिषेक किया उसके बाद स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के निर्देशन में आचार्य गौरव शास्त्री,अंकुश वेदपाठी आदि आचार्यों ने विधिवत गुलाब एवं कनेर के पुष्पों से अर्चन करवाया वहीं परिसर में इत्र और पुष्प की सुगन्धि के साथ मन्त्रों और हर हर महादेव के जयकारों के बीच भक्तिमय आनंद हो गया इसी बीच स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने अपने आशीर्वचनों के माध्यम के माध्यम से श्रावण में भगवान शिव की पूजा के महत्त्व के बारे में बताया कि सावन शिव को अत्यंत प्रिय है मार्कण्डेय ऋषि ने अल्पायु पर विजय प्राप्त करने के लिए और लंबी आयु पाने के लिए सावन माह में ही शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया था और शिव कृपा प्राप्त की। शिव तपस्या से मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए और मार्कण्डेय के प्राण नहीं हर सके।
सावन मास में अधिक वर्षा भगवान शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करती है। महादेव ने स्वंय सावन मास की महिमा बताते हुए कहा है कि मेरे तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बांये चन्द्र और अग्नि मध्य नेत्र है। जब सूर्य कर्क राशि में गोचर करता है, तब सावन महीने की शुरुआत होती है। सूर्य गर्म है जो उष्मा देता है जबकि चंद्रमा ठंडा है, जो शीतलता प्रदान करता है। इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से खूब बरसात होती है। जिससे लोक कल्याण के लिए विष को पीने वाले भोले को ठंडक व सुकून मिलता है।पूजन अर्चन के बाद सभी ने भगवान शिव की स्तुति कर महाआरती की जिसमे निपुण उपाध्याय, सौरभ शर्मा, कौशल सिंह, उत्कर्ष अग्निहोत्री आदि उपस्थित रहे।
INPUT – VINAY CHATURVEDI
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