कथा के श्रवण से श्रद्धालुओं को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है और उनके मन का शुद्धिकरण होता है: मित्रेश चतुर्वेदी
1 min readसिकंदराराऊ : क्षेत्र के गांव मांडी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन मुख्य अतिथि राष्ट्रीय विप्र एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष मित्रेश चतुर्वेदी ने पूजा अर्चना की व कथा व्यास दुर्गेश वशिष्ठ का सम्मान किया । आयोजकों द्वारा मुख्य अतिथि मित्रेश चतुर्वेदी का फूल मालाएं तथा पटका पहनाकर जोरदार स्वागत किया गया।
श्री चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीमद् भागवत और श्रीराम कथा जैसे धार्मिक आयोजन सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने वाले है। इस प्रकार के आयोजनों से सामाजिक सदभाव बढ़ता है और समाज में समरसता कायम रहती है। कथा के श्रवण से श्रद्धालुओं को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है और उनके मन का शुद्धिकरण होता है।
कथा व्यास दुर्गेश वशिष्ठ ने श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन ध्रुव चरित्र कथा का वर्णन किया। ध्रुव की कथा के माध्यम से श्रोताओं को भक्ति और दृढ़ संकल्प को विस्तार से समझाया। आचार्य ने कहा कि एक बार उत्तानपाद सिंहासन पर बैठे हुए थे। ध्रुव खेलते हुए राज के महल में पहुंच गए। उस समय उनकी अवस्था 5 वर्ष की थी।उत्तम राजा उत्तानपाद की गोदी में बैठा हुआ था। ध्रुव राजा की गोदी में चढ़ने का प्रयास करने लगे। सुरुचि को अपने सौभाग्य का इतना अभिमान था कि उसने ध्रुव को डांटा और कहा गोद में चढ़ने का तेरा अधिकार नहीं है। अगर इस गोद में चढ़ना है तो पहले भगवान का भजन करके इस शरीर का त्याग कर और फिर मेरे गर्भ से जन्म लेकर मेरा पुत्र बन। तब तू इस गोद में बैठने का अधिकारी होगा। ध्रुव को अपनी सौतेली माता के इस व्यवहार पर बहुत क्रोध आया, पर वह कर ही क्या सकता था? इसलिए वह अपनी मां सुनीति के पास जाकर रोने लगा। सारी बातें जानने के बाद सुनीति ने कहा, ‘संपूर्ण सुखों को देने वाले भगवान नारायण के अतिरिक्त तुम्हारे दुःख को दूर करने वाला और कोई नहीं है। तू केवल उनकी भक्ति कर।
इस अवसर परव्यास शरद शर्मा , उत्कर्षवर्ती पाठक, मोहन भारद्वाज, कन्हैया पचौरी समाज सेवी, अमन भारद्वाज, शिवम पचौरी, निरंजन शर्मा, कृष्णकांत पचौरी, रोहित शर्मा, आकाश पचौरी, श्याम पचौरी, ऋषि दीक्षित, रिषभ भारद्वाज आदि मौजूद रहे।
INPUT – VINAY CHATURVEDI