भक्त की मनोकामना पूर्ण करते है हनुमान : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
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सिकंदराराऊ : भगवान श्री राम के अनन्य भक्त एवं सेवक महावीर हनुमान का जन्मोत्सव हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है।देशभर में इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, भगवान विष्णु को राम अवतार के वक्त सहयोग करने के लिए रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म हुआ था। रामायण में वर्णित हनुमान जी की महिमा के अनुसार रावण का वध, सीता की खोज और लंका पर विजय पाने में श्रीराम की पूरी सहायता की थी तथा हनुमान जी के जन्म का मुख्य उद्देश्य राम भक्ति था। पवन पुत्र हनुमान का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हुआ था।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि आज यानि 5 अप्रैल प्रातः 09:19 मिनट से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होकर कल प्रातः 10:04 बजे तक रहेगी ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से कल यानि 6 अप्रैल गुरुवार को भगवान श्री हनुमान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने हनुमान जी के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि कलयुग में हनुमानजी एकमात्र जीवित देवता हैं, जो सशरीर इस पृथ्वी पर विचरण करते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। साथ ही इनकी पूजा आराधना से ग्रह दोषों से छुटकारा भी मिलता है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी के अनुसार हनुमान जी को अमरत्व का वर प्राप्त होने के कारण इनके अवतरण दिवस की तिथि को जयंती का नाम देना उचित हैं, क्योंकि शास्त्रों में वर्णन है कि किसी भी देव की जय का अंत नहीं होता इस लिए जयंती शब्द का प्रयोग उचित है,भगवान हनुमान आज भी सशरीर इस धरती पर मौजूद हैं।
हनुमान जन्मोत्सव से जुडी पूजा विधान के विषय में स्वामी जी ने बताया कि कुंडली में मंगल,शनि,राहु व केतु विपरीत अवस्था में हो या कष्टकारी हो या इनमें से किसी की महादशा अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा चल रही हो ऐसी स्थिति में वीर हनुमान की आराधना करना आवश्यक होता है। इस बार हनुमान जन्मोत्सव पर गुरु अपनी स्वराशि मीन में रहेेंगे तथा सूर्य की युति गुरु से बनने के कारण गुरु आदित्य योग रहेगा साथ ही इस दिन अभीष्ट फलदायी हस्त नक्षत्र भी होने के कारण अत्यंत शुभ रहेगा। हनुमान जी की पूजा में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक है,प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत होकर किसी चौकी पर लाल या पीला साफ कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र को लगाएं तथा कुश के आसन पर बैठकर मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। धूप, दीप प्रज्वलित करके घी का दीपक जलाकर हनुमानजी को अनामिका अंगुली से तिलक लगाएं, सिंदूर अर्पित करें, गंध, चंदन आदि लगाएं और फिर उन्हें पुष्पमाला और फूल चढ़ाकर गुड़-चने का प्रसाद अर्पित करें,इसके आलावा केसरिया बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, चूरमा, मालपुआ या मलाई मिश्री का भोग लगाएं। माना जाता है कि हनुमान जी को भगवान श्री राम की कथा को सुनना अत्यंत प्रिय है अतः इस दिन श्रीराम चरित मानस का पाठ करने से अनंतगुना फल की प्राप्ति होती है।
INPUT- VINAY CHATURVEDI