जिस घर में नारी का सम्मान किया जाता है, वहां देवता निवास करते हैं: आचार्य देव यदुवंशी

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सिकंदराराऊ : ज्योति नगर कॉलोनी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन श्रीकृष्ण और रूकमणी के विवाह का वर्णन किया गया। इससे पूर्व हवन यज्ञ मैं श्रद्धालुओं ने आहुतियां दी तथा पूजा अर्चना करके व्यासपीठ से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लिया।
श्रीमद्भागवत कथा में पंडित आचार्य देव यदुवंशी ने श्री कृष्ण और रूकमणी के विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि जिस घर में नारी का सम्मान किया जाता है, वहां देवता निवास करते हैं। गृहस्थ आश्रम तपोवन है, जिसमें सुख और दुखों के साथ ही प्रभु के नाम का स्मरण हो तो गृहस्थ आश्रम स्वर्ग बन जाता है।
उन्होंने कहा कि महाराज भीष्म अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका पुत्र रुक्मणी राजी नहीं था। वह रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। रुक्मिणी इसके लिए जारी नहीं थीं। विवाह की रस्म के अनुसार जब रुक्मिणी माता पूजन के लिए आईं तब श्रीकृष्णजी उन्हें अपने रथ में बिठा कर ले गए। तत्पश्चात रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ हुआ। ऐसी लीला भगवान के सिवाय दुनिया में कोई नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि भागवत कथा ऐसा शास्त्र है। जिसके प्रत्येक पद से रस की वर्षा होती है। इस शास्त्र को शुकदेव मुनि राजा परीक्षित को सुनाते हैं। राजा परीक्षित इसे सुनकर मरते नहीं बल्कि अमर हो जाते हैं। प्रभु की प्रत्येक लीला रास है। हमारे अंदर प्रति क्षण रास हो रहा है, सांस चल रही है तो रास भी चल रहा है, यही रास महारास है इसके द्वारा रस स्वरूप परमात्मा को नचाने के लिए एवं स्वयं नाचने के लिए प्रस्तुत करना पड़ेगा, उसके लिए परीक्षित होना पड़ेगा। जैसे गोपियां परीक्षित हो गईं।
इस दौरान विवेक शर्मा, अरविन्द शर्मा, यश शर्मा, अमोद शर्मा, आनंद शर्मा, चिराग राना , शोहम पचौरी, कमलेश शर्मा, सुशीला चौहान, राधा गुप्ता आदि मौजूद रहे।

vinay

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