देवाधिदेव महादेव को भी माँ अन्नपूर्णा ने दी भिक्षा : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी

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अलीगढ ; मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को मां पार्वती के रूप में धन धान्य की देवी अन्नपूर्णा धरती पर प्रकट हुई थीं। इस तिथि को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि माँ अन्नपूर्णा यश, वैभव और भोजन की अधिष्ठात्री देवी हैं। वैदिक ज्योतिष संस्थान पर मंगलवार को देवी अन्नपूर्णा की जयंती मनायी गयी।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज की अध्यक्षता में आचार्य गौरव शास्त्री,शिवम शास्त्री,ओम वेदपाठी,ऋषभ वेदपाठी आदि आचार्यो ने प्रातः कालीन बेला में देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा का धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन कर पुष्पों से अर्चन किया और अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ किया। स्वामी पूर्णानंदपुरी जी ने इस अवसर पर देवी अन्नपूर्णा के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि पौराणिक मान्यता अनुसार एक बार पृथ्वी पर भयंकर सूखा पड़ने के कारण सम्पूर्ण धरा बंजर हो गई और फसलें सूख गयीं अन्न और जल के अभाव में चारों ओर हाहाकार मच गया जिससे परेशान होकर पृथ्वी वासियों ने रक्षा के लिए ब्रह्मा,विष्णु और महेश की निराहार उपासना प्रारंभ की।
पृथ्वीवासियों की रक्षा के लिए मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को भगवान शिव भिक्षुक के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुए, वहीं माता पार्वती देवी अन्नपूर्णा के रूप में अवतरित हुईं। माँ अन्नपूर्णा से भिक्षा के रूप में भगवान शिव ने अन्न लिया जिसे समस्त पृथ्वीवासियों में वितरित कर दिया।इस अन्न का प्रयोग कृषि कार्य के लिए किया गया और इस तरह एक बार फिर से पृथ्वी अन्न से भर गई,तभी से मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाए जाने की परंपरा प्रारंभ हुई। सांय काल में महाआरती के बाद हलवा पूरी का प्रसाद वितरित किया गया जिसमें रजनीश वार्ष्णेय, तेजवीर सिंह जादौन, शिव प्रकाश अग्रवाल, निपुण उपाध्याय, ब्रजेन्द्र वशिष्ठ,कपिल शर्मा, पवन तिवारी आदि लोगों का सहयोग रहा।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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