रक्षाबंधन 31 अगस्त को ही मानना श्रेष्ठ एवं शुभ :पंडित सुभाष दीक्षित

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नगर के विद्वान ज्योतिष आचार्य पंडित सुभाष चंद्र दीक्षित ने रक्षाबंधन का पर्व मनाए जाने को लेकर समाज में फैल रही भ्रांतियों का निराकरण करते हुए कहा है कि निर्णय सिंधु में हेमाद्री का मंतव्य भविष्य पुराण का उल्लेख है कि श्रावण की पूर्णिमा में सूर्योदय के अनन्तर श्रुति स्मृति विधान से उपाक्रम श्रावणी कर्म रक्षाबंधन करें।
या तिथि ससमनु प्राप्य उदयं याति भास्कर:। सा तिथि: सकला ज्ञैया स्नान दान व्रतादिषु।। उदयन्नैव सविता यां तिथिम् प्रतिपद्यते। सा तिथि सकला ज्ञेया दानाध्यन कर्मसु।।
उन्होंने कहा कि सूर्योदय के बाद तिथि चाहे जितनी भी हो उसी दिन व्रत, पूजा, यज्ञ, अनुष्ठान ,स्नान और दानादि के लिए संपूर्ण अहोरात्र में पुण्यकाल प्रदान करने वाली माना गया है। लौकिक व्यवहार में रक्षा विधान हमेशा उदयातिथि में होता है । श्री राम नवमी, दुर्गा अष्टमी, एकादशी, गुरु पूर्णिमा, रक्षाबंधन ,भाई दूज आदि का कर्मकाल दिन में ही होता है। इन्हें दिन व्रत के नाम से जाना जाता है और दिन व्रत के लिए उदया तिथि साकल्या पादिता तिथि ली जाती है।
श्री दीक्षित ने बताया कि जब दिन की शुभता मिले तो रात्रि का यथासंभव त्याग करना ही उचित है अर्थात कोई तिथि दो दिन मिले एक रात्रि में और दूसरी दिन में सूर्योदय के समय तो उसमें सूर्योदय कालीन तिथि शुभ एवं श्रेष्ठ मानी जाती है । अत: इस वर्ष सभी विवादों का त्याग करके सभी विद्वानों को एक मत से 31 अगस्त 2023 दिन गुरुवार को ही रक्षाबंधन मानना चाहिए । इसी प्रकार रक्षाबंधन करना सभी भाई बहन एवं समाज परिवार के लिए हिट कर्क एवं कल्याणकारी रहेगा।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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