भगवान गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा व पूजन करने से सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं: दुर्गेश वशिष्ठ
1 min readसिकंदराराऊ : नगर के मोहल्ला भूतेश्वर कॉलोनी स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस भगवान की वाल लीलाओं का वर्णन किया गया। पूतना उद्धार, सक्तासुर वध , नामकरण, माखन चोरी, यमलार्जुन उद्धार, वृंदावन वास, गोपी चीर हरण अंत में गिरराज गोवर्धन की उत्पत्ति की कथा व भगवान ने पूजन क्यों कराया , माखन की चोरी भगवान किस लिए करते थे।
भागवत आचार्य दुर्गेश वशिष्ठ ने बताया कि एक बार सभी देवताओं ने मिलकर भगवान से कहा कि मुझे आपके घर का मक्खन खाना है तो भगवान ने कहा अगर मैं मां से मांग लूंगा तो मां देगी नहीं इसलिए मैं मटकी फोड़ दिया करूंगा आप आकार खा जाया करो अगर चोरी नहीं करते तो कुबेर के पुत्र जो वृक्ष वने थे उनका उद्धार कैसे होता और चीर हरण एक अज्ञान रूपी माया का आवरण हटाना ही चीर हरण है।गोपियां नग्न स्नान करती ये कुप्रथा थी उसको समाप्त किया और गिरराज भगवान कृष्ण के पुत्र है पूर्व वरदान के कारण भगवान ने गिरराज का पूजन कराया और फल बताया कि जो भी भगवान गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा का पूजन करता है।उसके सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं उसके घर में कभी भी धन और धान्य की कमी नहीं रहती। उन्होंने कहा कि भगवान ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया, वहीं ब्रज के लोगों को आनंद प्रदान किया। इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रजमंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ। इस मौके पर गोवर्धन लीला की झांकी भी सजाई गई। कथा के दौरान गोवर्धन पूजन का उत्सव उल्लास के साथ मनाया गया। संगीतमय कथा के दौरान भजनों पर पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु भजनाें पर नाचते रहे।
INPUT – VINAY CHATURVEDI
यह भी देखें :-