कब है ज्येष्ठ मास का पहला प्रदोष व्रत, जानें तारीख और पूजा विधि

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प्रदोष व्रत को भगवान शिव की उपासने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव की कृपा पाने के लिए शिवरात्रि और प्रदोष व्रत सर्वाधिक फलदायी रहता है। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रियोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन जो व्यक्ति भगवान शिव की उपासना पूरा श्रद्धा के साथ करता हैं। उसके जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस बार प्रदोष व्रत 17 मई को रखा जाएगा। जोकि बुधवार के दिन है। इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ मास का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा। साथ ही जानते हैं इसका महत्व और पूजा विधि |

प्रदोष व्रत पूजा विधि
बुधवार के दिन प्रदोष तिथि होने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।

इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि के बाद सबसे पहले साफ वस्त्र पहले और इसके बाद व्रत का संकल्प लें।

इसके बाद किसी मंदिर में जाकर या फिर अपने घर घर के मंदिर में ही भगवान शिव का अभिषेक करें।

प्रदोष व्रत में शाम की पूजा का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत में शाम के समय शिव पूजा उत्तम फलदायी रहती है। इसलिए शाम के समय दोबारा स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजास्थल को गंगाजल से पवित्र कर लें।

पूजा शुरु करने से पहले गणेशजी की पूजा करें। अब महादेल को गाय के दूध, घू, गंगाजल, दही, शहद, शक्कर से अभिशेक करें और महामृत्युजय मंत्र का जाप करें।

शिव मंत्रों का उच्चारण करते हुए भगवान शिव का जनेऊ, भांग, धतूरा, भस्म, अक्षत, कलावा, बेलपत्र, श्वेत चंदन, आंक के पुष्प, पान, सुपारी अर्पित करें। अंत में शिव चालीसा का पाठ जरुर करें।

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