माँ पीतांबरा की कृपा से मिलता है तीनों लोकों में अजेय का वरदान : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज

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अलीगढ :  दस महाविद्याओं में एक अलौकिक सौंदर्य और शक्ति की आराध्य देवी माँ पीतांबरा की जयंती वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनायी जाती है। मां बगलामुखी का अवतरण हुआ था। इनकी आराधना से शत्रुओं पर विजय मिलती है और हर सकंट दूर होता है।
शहर के स्वर्ण जयंती नगर सीजन्स अपार्टमेंट स्थित वैदिक ज्योतिष संस्थान कार्यालय पर शुक्रवार को माँ पीतांबरा जयंती मनायी गयी। महामंडलेश्वर स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में आचार्य गौरव शास्त्री, ऋषि शास्त्री, ऋषभ शास्त्री, ओम शास्त्री आदि आचार्यों ने वेदमन्त्रों के साथ माँ पीतांबरा की प्रतिमा का विधिवत स्नान करवाकर गुलाब एवं कनेर के पुष्पों तथा चावल से अर्चन किया स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि
बगला अर्थात दुल्हन की तरह आलौकिक सौन्दर्य और अपार शक्ति की स्वामिनी होने के कारण देवी का नाम बगलामुखी पड़ा इनको बगलामुखी, पीताम्बरा,ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है। माँ बागलमुखी मंत्र कुंडलिनी के स्वाधिष्ठान चक्र को जागृति में सहायता करतीं दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या के रूप में वाद विवाद में विजय के लिए उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है।
देवी की पौराणिक कथा के बारे में जानकारी देते हुए स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए।इस समस्या के हल कोई हल निकालने हेतु सभी देवगण भगवान शिव को स्मरण करने लगे तब भगवान शिव ने शक्ति की शरण में जाने का सुझाव दिया।भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुँच कर कठोर तप किया जिससे प्रसन्न होकर माँ बगलामुखी के रूप में जलक्रीडा करती देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को बचाया।

INPUT – VINAY CHATURVEDI 

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