पृथ्वीलोक के प्राणियों के तारण हेतु माँ गंगा हुईं अवतरित : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज 

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सिकंदराराऊ : सनातन धर्म में नदियों को देवी का स्वरूप माना जाता है,गंगा,यमुना,मंदाकिनी, नर्मदा आदि नदियां आदिकाल से ही हिन्दू आस्था की प्रतीक हैं,लोग इनकी पूजा और आराधना करते हैं,वहीं अनेकों वर्षो से पवित्रता का प्रतीक गंगा नदी  का विशेष महत्व है। वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि को माँ गंगा पृथ्वीलोक पर अवतरित होने के कारण इस दिन गंगा सप्तमी का महापर्व मनाया जाता है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने गंगासप्तमी पर्व से जुडी जानकारी साझा करते हुए बताया कि मां गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ तथा महादेव की जटाओं में इनका वास है।
मान्यता के अनुसार कपिल मुनि के श्राप से राजा सगर के 60 हजार पुत्र भस्म हो गए तब उनके उद्धार के लिए राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर मां गंगा धरती पर आकर सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार किया इसलिए गंगा को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने गंगा सप्तमी की पूजा एवं इस दिन लगने वाले योगों के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि मध्यान्ह व्यापिनी सप्तमी में गंगा जी का पूजन करना चाहिए, यदि दोनों दिन तिथि मध्यान्ह व्यापिनी हो या एक भी दिन नहीं हो तब पहले दिन गंगा सप्तमी मनाना श्रेष्ठ रहता है अतः शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि आज यानि बुधवार को प्रात: 11:35 मिनट से प्रारंभ होकर कल दोपहर 01:34 मिनट तक रहेगी,इसलिए आज गंगा सप्तमी मनाना अत्यंत श्रेष्ठ रहेगा,मां गंगा की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 11 बजे से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है। इस दिन गंगा स्नान से जन्म जन्मांतर के पाप कट जाते हैं, शास्त्रों में तीर्थ स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त को उत्तम बताया गया है, इसलिए आज प्रातः गंगा स्नान करना शुभ होगा।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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