सनातन धर्म के पुनरोत्थान हेतु आदिशंकराचार्य का रहा विशेष योगदान : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज

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अलीगढ : वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आदि शंकराचार्य जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सनातन धर्म के युग प्रवर्तक आदि गुरु शंकराचार्य अवतरित हुए थे। वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में मंगलवार को शंकराचार्य जयंती बड़े धूमधाम से मनायी गयी।
वैदिक ज्योतिष संस्थान प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में आचार्य गौरव शास्त्री, ऋषि शास्त्री, रवि शास्त्री, ऋषभ वेदपाठी, ओम वेदपाठी, चन्दर शास्त्री आदि आचार्यों के द्वारा आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का पूजन अर्चन एवं माल्यार्पण किया गया वहीं इस मौके पर उपस्थित संस्थान परिवार के सदस्यों ने संकीर्तन कर हलवा प्रसाद वितरित किया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि 788 ई में केरल के कालड़ी में ब्राह्मण परिवार में भगवान शंकर के अवतार के स्वरुपी शंकराचार्य अवतरित हुए। धर्म विरोधी ताकतों के हावी होने के वावजूद भी उन प्रतिकूल परिस्थितियों में सनातन धर्म के जीर्णोद्धार हेतु अपना सर्वस्व समर्पण कर सम्पूर्ण राष्ट्र को एक भगवा के तले ला खड़ा कर दिया। आदि शंकराचार्य के अथक प्रयासों के चलते सनातन धर्म में नव चेतना जागृत हुई। शंकराचार्य के कथन के अनुसार यह विराट विश्व ही परमात्मा का स्वरूप है। वही ईश्वर संपूर्ण जीवधारियों वृक्ष वनस्पति जल थल में भावना रूप से विद्यमान है। उसी की चेतना वायु में प्राण बनकर इधर से उधर घूमती है। अग्नि में दाहकता बनकर जलाती है।
शंकराचार्य जयंती के उपलक्ष्य में रजनीश वार्ष्णेय, कपिल शर्मा, प्रमोद वार्ष्णेय, तेजवीर सिंह, अजीत गुप्ता, शिब्बू अग्रवाल, निकिता तिवारी, नेहा गुप्ता, पवन तिवारी, डोली सिंह आदि लोगों ने शंकराचार्य स्तुति कर महाआरती की।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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