अक्षय तृतीया पर किया गया पुण्य कार्य नहीं होता है समाप्त : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज

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सिकंदराराऊ : वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है,शास्त्रों में इस तिथि को स्वयंसिद्ध मुहूर्त और युगादि तिथि कहा गया है। इस दिन कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य करने के लिए पंचांग की आवश्यकता नहीं होती, इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य अति शुभ फलदायक माना जाता है साथ ही इस दिन सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ भी हुआ था। इस बार तृतीया तिथि 22 अप्रैल प्रातः 08:03 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी अतः अक्षय तृतीया का पर्व 22 अप्रैल शनिवार यानि कल मनाया जायेगा।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने अक्षय तृतीया पर्व के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि निर्णयसिंधु ग्रन्थ के अनुसार जिस दिन तृतीया तिथि पूर्वान्हव्यापिनी होती है उसी दिन अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है दोनों दिन पूर्वान्हव्यापिनी तिथि होने पर तीन मुहूर्त के अधिक होने पर दुसरे दिन मनाने का विधान है, इस बार प्रदोष में तृतीया तिथि व्याप्त होने के कारण शनिवार को ही यह पर्व मनाया जाएगा।अक्षय का अर्थ है जो कभी खत्म ना हो अक्षय तृतीया वह तिथि है जिसमें सौभाग्य और शुभ फल का कभी क्षय नहीं होता। इस दिन पराक्रम एवं सत्य सनातन के ध्वजा वाहक और सनातन धर्म रक्षक भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में भगवान परशुराम का जन्म भी हुआ था।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया पर सर्वार्थ सिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग, आयुष्मान योग, सौभाग्य योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। इन शुभ योग में किया गया धार्मिक कार्य जैसे पूजा, जप-तप, दान आदि कार्यों को बेहद शुभ फल मिलता है। आज रात्रि 11:24 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग प्रारंभ होकर कल प्रातः 05:48 तक रहेगा। इस शुभ योग में शुरू किया गया कोई भी शुभ कार्य निश्चित ही सफल होता है।सर्वार्थ सिद्धि योग में अशुभ योग जैसे शुक्र अस्त, पंचक, भद्रा आदि का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है।तीन ग्रहों के मिलने से बना त्रिपुष्कर योग प्रातः 5:49 मिनट से 7:49 मिनट तक रहेगा। इस शुभ योग में किया गया कोई भी शुभ कार्य का फल तीन गुना अधिक मिलता है,आयुष्मान योग प्रातः 9: 26 मिनट तक रहेगा। इस दिन आयुष्मान योग में किए गए धार्मिक कार्य आयु बढ़ाने वाला माना जाता है। इस शुभ योग में पितरों को तर्पण व पितरों के नाम का दान करने से ऐश्वर्य, आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है। रवियोग रात्रि 11:24 मिनट से आरंभ होकर कल प्रातः 5:48 मिनट तक रहेगा। सूर्य की पवित्र ऊर्जा होने के कारण यह योग सभी दोषों का नाश करता है। सौभाग्य योग प्रातः 9:36 मिनट से प्रारंभ होकर पूरी रात तक रहेगा।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि अक्षय तृतीया पर सूर्योदय के समय शीतल जल से स्नान कर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी कि आराधना करें इस दिन जप तप, दान और व्रत से मिले पुण्य का कभी क्षय नहीं होता है तथा गृह प्रवेश, नींव पूजन, नई वस्तु की खरीदारी और विवाह करने की उत्तम तिथि भी अक्षय तृतीया है।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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