रोग शोक को दूर कर यश का वरदान देती हैं कूष्मांडा देवी : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
1 min readअलीगढ : वातावरण में सकारात्मकता के साथ जहा हर तरफ भक्तिमय माहौल देखने को मिल रहा है चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा उपासना हेतु भक्त कई विधियों से भगवती को मना रहे हैं। वहीं वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में शतचंडी अनुष्ठान के चौथे दिन विधिवत पूजा अर्चना की गयी।
स्वर्ण जयंती नगर सीजन्स अपार्टमेंट स्थित वैदिक ज्योतिष संस्थान कार्यालय पर चल रहे शतचंडी अनुष्ठान के चौथे दिन स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के निर्देशन में आचार्य गौरव शास्त्री, ऋषि शास्त्री, रवि शास्त्री, ऋषभ वेदपाठी ने मुख्य यजमान राकेश नंदन,शीतल नंदन संजय नवरत्न द्वारा भगवती का विशेष पूजन करवाया तथा भगवती के एक हजार नामों के साथ कनेर, गुलाब के पुष्पों से अर्चन करवाया। स्वामी पूर्णानंदपुरी जी ने इस अवसर पर बताया कि जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी, मां कुष्मांडा ने सृष्टि की उत्पत्ति की,इसलिए इन्हें सृष्टि की आदिशक्ति भी कहा जाता है।मंद हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण ही इनका नाम कुष्मांडा पड़ा।
केवल मां कुष्मांडा में ही सूर्यलोक के भीतर रहने की क्षमता है और इन्हीं के तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं।इनकी पूजा करने से रोग-शोक दूर होते हैं और यश-आयु में वृद्धि होती है।
INPUT- VINAY CHATURVEDI