प्राकृतिक वस्तुओं के संरक्षण का करें संकल्प : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
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अलीगढ : माँ दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है। दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए जिस विधि को पूर्ण किया जाता है उसे शतचंडी अनुष्ठान के नाम से जाना जाता है। ग्रहों की स्थिति को भी माँ दुर्गा के आशीर्वाद से इस अनुष्ठान के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।देवता और राक्षस लोग इस यज्ञ का प्रयोग ताकत और ऊर्जावान होने के लिए निरंतर प्रयोग करते थे,समाज कल्याण हेतु इन शक्तियों का उपयोग करना चाहिए। इसी क्रम में शहर की खुशहाली एवं शांति सौहार्द, रोग दोष पीड़ा निवारण हेतु चैत्र नवरात्रि में वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में महामंडलेश्वर स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में चल रहे नौ दिवसीय श्री शतचंडी अनुष्ठान के दूसरे दिन की विधिवत पूजा उपासना की गयी।
गुरुवार को दूसरे दिन के मुख्य यजमान अमित अग्रवाल,कविता अग्रवाल से आचार्य गौरव शास्त्री,ऋषि शास्त्री, रवि शास्त्री ऋषभ वेदपाठी आदि आचार्यों ने भगवती की प्रतिमा का विधिवत मन्त्रोंच्चार के साथ अभिषेक करवाया और विभिन्न प्रकार के सुगन्धित पुष्पों से अर्चन करवाया।
संस्थान प्रमुख महामंडलेश्वर स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने इस अवसर पर बताया कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस दिन परब्रह्म शक्ति की उपासना से स्वयं को और अपने परिवार को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्ति दिला सकते हैं। भगवान शिव के कहने पर रक्तबीज शुंभ निशुंभ,मधु-कैटभ आदि दानवों का संहार करने के लिए देवी पार्वती ने असंख्य रूप धारण किए।
स्वामी जी ने प्राकृतिक संसाधनों के रखरखाव एवं संरक्षण के बारे में बताया कि जिस प्रकार जन्म देने वाली माँ से पालन पोषण करने वाली माँ बड़ी होती हैं उसी प्रकार हमारी प्राकृतिक वस्तुएं जैसे जल,वायु आदि भी हमारे शरीर का लालन पालन करते हैं जिसके बदले हमें भी इन वस्तुओं का संरक्षण करना अत्यंत आवश्यक हैं।देर शाम हुईं महाआरती में कपिल शर्मा, पवन तिवारी, सुनीता शर्मा, रजनीश वार्ष्णेय, निकिता तिवारी, नेहा गुप्ता सहित दर्जनों भक्तों ने भगवती का आशीर्वाद लिया।
INPUT- VINAY CHATURVEDI