नव संवत्सर के साथ नारीशक्ति सम्मान का लें संकल्प : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज

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सिकंदराराऊ : शक्ति की आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्रि आज से सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाया जा रहा है साथ ही नव संवत्सर का प्रारंभ देवी की आराधना के साथ ही लग जायेगा। नौ दिनों के महापर्व में प्रतिदिन मां दुर्गा के नौ अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन घट स्‍थापना कर देवी का स्वरुप दिया जाता है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने चैत्र नवरात्रि में देवी की पूजा एवं घट स्थापन मुहूर्त के विषय में स्पष्ट जानकारी देते हुए बताया कि नवरात्रि में घट स्‍थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करना लाभकारी होता है क्योंकि शुभ मुहूर्त में कोई भी कार्य करने से व्यवधान नहीं आते तथा बेहतर परिणाम मिलते हैं।
उन्होंने बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 21 मार्च रात्रि 10:52 से प्रारम्भ हो चुकी है जो कि आज रात्रि 08.20 मिनट तक रहेगी वहीं प्रातः 06:25मिनट से 09:25 मिनट तथा इसके बाद 10:55 मिनट से 12:26 मिनट तक कलश स्थापना के लिए अत्यंत शुभ रहेगा।
स्वामी पूर्णानंदपुरीजीमहाराज ने देवी की पूजा आराधना के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि इस नवरात्रि में देवी का वाहन नाव होने के कारण पर्याप्त वर्षा का संकेत देखने को मिल रहा है। वहीं आज शुक्ल और ब्रह्म योग, कल सर्वार्थ सिद्धि योग, 24 को राजयोग, 25 और 26 को रवि योग, 27 मार्च को सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग, 28 मार्च को राजयोग, 29 मार्च को रवियोग, 30 मार्च को गुरु पुष्य योग के साथ अमृत सिद्धि योग मिलेगा। ऐसे में नौ दिन देवी पूजन के लिए विशेष कल्याणकारी रहेंगे।
स्वामी जी ने घट स्थापना कि विधि के बारे में बताया कि सबसे पहले दैनिक कार्यों से निवृत होकर पूजा के स्थान की सफाई करें और एक चौकी पर माता की प्रतिमा रखें तथा भगवान गणेश को स्मरण कर पूजन कार्य प्रारंभ करें। मिट्टी के पात्र में बालू लेकर उसमें जौ डालें।एक मिट्टी या ताबे के कलश पर कलावा बांधकर स्वास्तिक बनाएं तथा कलश में गंगा जल डालकर उसमें दूर्वा, साबुत सुपारी, अक्षत और दक्षिणा डालें. इसके बाद कलश के ऊपर आम या अशोक 5 पत्ते लगाकर पानी सहित जटाओं वाले नारियल से कलश को बंद कर लाल चुनरी से ओढ़ाकर पुष्पमाला पहनायें सभी देवी देवताओं का आवाह्रन करके माता के सामने व्रत का संकल्प लेकर विधिवत दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें, दुर्गा चालीसा पढ़कर अज्ञारी लगाकर कपूर, धूप दीप आदि से माता की आरती करें।

INPUT-VINAY CHATURVEDI

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