श्रीमद् भागवत कथा: मित्रता में त्याग और समर्पण होना चाहिए

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सहपऊ :  सहपऊ कस्बे के हनुमान टीला मार्ग पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन की कथा में सुदामा व परमात्मा श्री कृष्ण की मित्रता की कथा सुनाते हुए कथा व्यास साध्वी इंदुलेखा जी ने कहा कि यदि मित्रता करना सीखना है तो हमें सुदामा की त्याग और परमात्मा के समर्पण की कथा अवश्य सुनना चाहिए। मित्रता निस्वार्थ व निष्काम भाव से करना चाहिए। मित्रता में जहां स्वार्थ आता है वहां मित्रता मित्रता नहीं रह जाती। बल्कि एक स्वार्थ से परिपूर्ण संबंध बन करके रह जाता है।
उन्होंने कहा कि मित्रता में त्याग और समर्पण अत्यधिक आवश्यक है एक तरफ जहां सुदामा अत्यंत गरीब होते हुए भी परमात्मा श्री कृष्ण से स्वार्थ नहीं रखता है जबकि सुदामा परमात्मा श्री कृष्ण का बालसखा है। वहीं दूसरी ओर परमात्मा श्री कृष्ण जब सुदामा जी को अपने पास आया हुआ देखते हैं तो मित्र को किसी भी प्रकार की ग्लानि न हो यह ध्यान रखते हुए सुदामा के दिए हुए चावल अत्यंत प्रेम के साथ खाते हैं और अपना सर्वस्व सुदामा के लिए समर्पित कर देते हैं। कथा वाचक ने कहा कि जहां पर त्याग और समर्पण की भावना है मित्रता वही है और मित्रता का असली स्वरूप भी यही है। इस मौके पर कस्बे के सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

INPUT : अखिलेश वार्ष्णेय

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