कुड़नी दरबार में लगा भक्तों का जनसैलाब

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कोरोनावायरस कोविड-19 जो कि भारत देश में तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन से लोगों को राहत दी वहीं दूसरी तरफ आज कुड़नी दरबार पर कोविड-19 कि नियम के साथ बाबा के दर्शन के लिए भक्तों की उमड़ी भीड़ साथ ही बुढ़वा मंगल के उपलक्ष्य में मंदिर परिसर में कई तरीके के प्रोग्राम आयोजित किए गये ग्रामीणों और क्षेत्रीय लोगों का पूरा सहयोग देखने को मिला साथ ही मंदिर परिषद में स्वच्छता एवं सफाई का विशेष ध्यान दिया गया मंदिर परिषद में बगैर मार्क्स के प्रवेश वर्जित देखने के लिए भी मिला साथ ही भक्तों के अंदर बाबा के दर्शन करने का एक अलग ही जुनून देखने को मिला वहीं प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा भी देखने को मिली।
कुड़नी का हनुमान मंदिर करीब पांच सौ साल पुराना एतिहासिक मंदिर है। मंदिर कानपुर शहर से  45 किमी की दूरी पर कुड़नी गांव में स्थित है। प्रभु श्रीराम भक्त हनुमान के इस मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को मेला लगता है और दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन यहां की अहम विशेषता है कि सौं में सत्तर फीसदी भक्तों का नाम महावीर प्रसाद होता है और इसके पीछे भी एक कहानी है। वो कहानी भी हम आपको बताएँगे लेकिन उस से पहले मंदिर का इतिहास जानना जरुरी है। मंदिर की स्थापना के बारे में पुजारी आदित्यनाथ शुक्ला का कहना था कि पांच सौ साल पहले तालाब में एक मूर्ति जल पर तैर रही थी। लोगों ने तालाब से मूर्ति को बाहर निकाला और तालाब से कुछ दूर एक नीम के पेड़ पर सटाकर रख दिया। दूसरे दिन ग्रामीण मूर्ति लेने के लिए आए, लेकिन वह टस से मस नहीं हुई। कई दिनों तक लोगों ने मूर्ति को गांव ले जाने के लिए प्रयास किए, पर वह असफल रहे। बाद में गांव वालों ने चंदा लेकर वहीं नीम के पास मंदिर का निर्माण करवा दिया। तभी गांव के माली राधेश्याम को भगवान ने दर्शन दिया और कहा कि जिन भक्तों के घर में बालक न हो वह मंगलवार और शनिवार को मंदिर परिसर पर श्री सत्यनारायण भगवान की कथा सुने उसके घर में बालक जन्म लेगा। पुजारी के मुताबिक अभी तक जो दस्तावेज मंदिर प्रबंधक के पास हैं, इसमें 1946 से लेकर 2018 तक एक लाख लोगों के घर में भगवान हनुमान के प्रसाद से महावीर जन्म ले चुके हैं।मंदिर के पुजारी ने एतिहासिक मंदिर के बारे में बताया कि यहां हनुमान जयंती के अवसर पर कुश्ती का आयोजन भी किया जाता है। कुश्ती का आयोजन लगभग दो सौ साल से बदस्तूर चला आ रहा है। पुजारी ने बताया कि मंदिर में राजा, प्रजा, नेता सभी आते हैं और भगवान बजरंगबली के दरवार में माथा टेक मन्नत मांगते हैं।मंदिर के पुजारी ने बताया कि जब कोई दंपति भगवान बजरंगबली के दरबार पर हाजिरी लगाने के लिए आता है तो उसे पहले सत्यनारायण की कथा मंदिर परिसर पर जोड़े से सुननी होती है। बजरंगबली के प्रसाद से उनके घर में महावीर जन्म लेते हैं। पुजारी के मुताबिक दंपति को बता दिया जाता है कि आप घर के लिए चाहे जो नाम चुन लें, लेकिन कुंडली और लिखापढ़ी में महावीर प्रसाद लिखवाना अनिवार्य होता है। इसके अलवा पहला मुंडन मंदिर परिसर पर ही होता है। साथ ही विवाह के फेरे लेने के बाद नवदंपति को घर की दहलीज पर कदम रखने से पहले कुड़नी मंदिर पर आकर भगवान बजरंगबली का आर्शीवाद लेना होता है। मंदिर के पुजारी आदित्यनाथ शुक्ला बताते हैं कि जिस दंपत्ति को पुत्र सुख की प्राप्ति नहीं होती, वह भगवान बजरंगबली के दर पर आ कर हाजिरी लगाते हैं। भगवान बजरंगलबली की कृपा से उनके उन्हें बेटे का सुख प्राप्त होता है। संतान प्राप्ति के बाद दंपत्ति को बेटे का नाम महावीर प्रसाद रखना होता है और पहले मुंडन से लेकर विवाह के बाद उसे मंदिर में पत्नी समेत आकर सत्यनारायण भगवान की कथा निर्जला सुननी होती है।
जो भक्त हनुमान जयंती, शनिवार और मंगलवार के दिन कुड़नी के भगवान बजरंगबली के दरबार पर आकर हाजिरी लगाते हैं, वह सब दुख हर लेते हैं। कुड़नी में आने वाले भक्त उन्हें अब भगवान डॉक्टर के नाम से भी पुकारते हैं। हनुमान मंदिर बगल में रोगियों के ठहरने के लिए घर हैं। उनके घर पर रोगी अपने हर प्रकार के रोगों के निवारण के लिए जुटते हैं। प्रत्येक मंगलवार को यहां तमाम रोगियों का जमावड़ा लगता है। भक्त अब तो उन्हें डॉक्टर हनुमान का नाम इतनी तेजी से लोगों के बीच मशहूर होता जा रहा है कि लोग दूर-दराज से पूजा के लिए यहां आने लगे हैं। यहां तक कि पड़ोसी राज्यों में भी इस नाम की धूम मची है। कई बार स्थिति ऐसी बन जाती है कि श्रद्धालुओं के जत्थों को संभाल पाना पुलिस के आपे से बाहर हो जाता है।

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